शायद आप नही जानते बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के बारे मे कुछ रोचक बाते
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू)
जिसका नाम पहले Central Hindu College (मध्य हिंदू कॉलेज) था। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित एक सार्वजनिक केंद्रीय विश्वविद्यालय है। १९१६ में पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित, बीएचयू एशिया में सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है, जिसमें ३५००० से अधिक छात्र हैं।
बनारस के आनुवंशिक शासक काशी नरेश द्वारा दान की गई जमीन पर १३०० एकड़ (५.३ किमी) विश्वविद्यालय का मुख्य परिसर बनाया गया था। "काशी" एक बनारस या वाराणसी का ही वैकल्पिक नाम है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का दक्षिण परिसर २७०० एकड़ (११किमी) में फैला है। जिसमे कृषि विज्ञान केंद्र (Agriculture Science Centre) है, जो बनारस से लगभग ६० किमी (३७ मील) दूर मिर्ज़ापुर जिले के बरकाचा में स्थित है। बनारस विश्वविद्यालय अपनी एक शाखा बिहार मे बनाने की योजना बना रहा है।
६ संस्थानों (Institues) और १४ संकायों (faculties) के साथ 140 विभागों में बीएचयू को स्थापित किया गया है। विश्वविद्यालय में कुल छात्र नामांकन ३०००० से अधिक है, और इसमें ३४ से अधिक देशों के छात्रों को शामिल किया गया है। इसमें निवासी छात्रों के लिए ७५ से अधिक हॉस्टल्स हैं।
बीएचयू मे इंजीनियरिंग(IIT-BHU), प्रबंधन (आईएम-बीएचयू, एफएमएस-बीएचयू), विज्ञान (आईएससी - बीएचयू), भाषाविज्ञान, पत्रकारिता और जन संचार, प्रदर्शन कला, कानून, कृषि (आईएएस-बीएचयू), चिकित्सा (आईएमएस-बीएचयू) और पर्यावरण संस्थान सहित कई कॉलेज है। सतत विकास की वजह से विश्वविद्यालय की इंजीनियरिंग संस्थान आईईएसडी-बीएचयू को जून २०१२ में एक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) से नामित किया गया है। बीएचयू ने २०१५-१६ में अपने शताब्दी वर्ष को पुरा किया है।
इतिहास
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना पंडित मदन मोहन मालवीय ने की थी। जो एक प्रमुख वकील और एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता थे, मालवीय ने राष्ट्रीय जागृति को प्राप्त करने के लिए शिक्षा को प्राथमिक माध्यम के रूप में माना था। भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय के अनुरोध पर, १९१४ में संत बाबा अत्तर सिंह जी मस्तूना (पंजाब) ने वाराणसी में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी थी। सर सुंदर लाल को पहली कुलगुरु नियुक्त किया गया था।
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